भारतीय किसान भारतीय किसान का नाम आते ही हमारे मानस पटल पर जो एक चेहरा अंकित होता है , वह् फटेहाल, त्याग और तपस्या की मूर्ति का होता है | जो अथक प्रयास करके सूखी बंजर धरती से संघर्ष करते हुए सोना उगाता है | किसान जो अपने श्रम से संसार का पेट भरते हैं| देश भर की आवश्यकताओं के अनुरूप खाद्यान्न उत्पादित करने के लिए उन्हे प्रकृति से लंबी लडाई लड़नी पड़ती है| ऐसे भारतीय किसान को मैं नमन करती हूँ| अपनी कविता के रूप में श्रद्धा सुमन किसान को अर्पित करती हूँ| कविता ( किसान ) यह किसान है स्वतन्त्र भारत का किसान है | अभावों में भी पला है भूख में भी जला है| पेट लोगो का भरता है पर आज कर्जदार होता भारत का अन्नदाता है | जीवनदाता के ही आज संकट मे हैं प्राण क्यो? सबकी इच्छाओ को पूरा करने वाले के ही हैं अरमान अधूरे क्यो ? अपने बच्चो को न पढा सकता है न जींस ट्राउजर पहना सकता है सिखलाता है उनको सिद्धान्तों पर चलना, पर उसके अधूरे अरमान क्यों ? बंजर सी धरती पर सोना उगाने की रखता है क्षमता हक की लडाई लड़ने से वो है डरता | कितनी भी हो विकट परिस्थिति ,उम्मीद वो बांधे है रखता | भटकता नह...